मैं सोच रहा थाकि यह गया कहाँ
हम आश्चर्य से देखते ही रहे कुत्ता हँसी-खुशी से उछल-कूद करता हुआ अपने मालिक के पास पहुँच गया और देखते ही देखते उस घर
के अंदर गायब हो गया। "चलो! रवि बोला। उसके शब्द में बहुत से
अनकहे मायने छिपे थे।
मैंने सिर हिला दिया। मैं शर्त लगा सकती हूँ
कुत्ते को मारते होंगे," मैंने कहा। "उनको रोकने-टोकने वाला तो कोई है नहीं कोई आश्चर्य नहीं जो कुत्ते की आँखों में उदासी छाई है
अच्छा, ऐसा!" रवि बोल पड़ा। “तुम्हें कैसे पता लगा? क्या ये आँखें गायों की तरह थीं?" रवि तो तभी से जानवरों से प्यार करने लगा था, जब से वह कुत्ते और बिल्ली में फर्क समझने लायक हुआ था।
"बच्चों, तुम लोग क्या कर रहे हो?" हमारी माँ बाहर आकर बोली “तुम लोगों ने बताया था कि कल तुम्हारा टेस्ट है। गणित का है, न?"
रवि ने उदास स्वर से कहा "हम लोगों ने तैयारी कर ली है। वहीं पुराने सड़े से समीकरण!"
यही पुराने सड़े-से समीकरण'. अगले दिन हमारे लिए असली मुसीबत बन गए। शंकर साहब ने तो लगता है कि सबसे कठिन प्रश्नों का आविष्कार कर डाला था। हमने बहुतेरा सिर खुजाया, पेन चबाए, संख्याओं को बहुत संवारा, सरल किया लेकिन उनके उत्तर पकड़ में नहीं आए।
"हाय!" कक्षा से बाहर निकलते ही माधुरी ने अपनी आँखें मलीं। "कितना भयानक था, कितना कठिन! तुम दोनों ने कल ज़रूर उन्हें नाराज कर दिया होगा। उसी का बदला लिया उन्होंने।"
असली अग्निपरीक्षा तो तब हुई, जब हमारी कापियाँ वापस की गई। हम सब-के-सब फेल हो गए थे। शंकर साहब की चमकती आँखें और गरजती आवाज़ वाले प्रचंड