HAMARE PADOSI

हमारे पड़ोसी 
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Slide 1: Tekstslide
HindiSecondary EducationAge 13

In deze les zitten 31 slides, met interactieve quizzen en tekstslides.

time-iconLesduur is: 60 min

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हमारे पड़ोसी 

Slide 1 - Tekstslide

1st page 
रीव और मैं खाली बैठे खिड़की से बाहर झाँक रहे थे तभी अगले मकान के सामने एक ट्रक आकर रुका।

"लगता है कोई आ गया है। मैंने कहा "अब क्या करें?" हमने एक-दूसरे की तरफ देखा। उस मकान का बगीचा पिछले महीने से हमारे खेल का मैदान बना हुआ था। वहाँ हम लोग घंटों मजे करते थे कभी उसको घास में 'खजाने की खोज करते तो कभी मन होने पर 'छुपा छुपी' खेलते उसकी खिड़की के धुँधले धुंधले काँच से हम लोग अकसर झाँका करते थे और सोचते थे कि यह मकान अंदर से कैसा होगा।

"इसमें एक भूत है," रवि कहता। "मुझे उसकी आवाज सुनाई देती है।" मैं डर के मारे काँप उठी और तुरंत हाथ जोड़कर भगवान को याद करने लगी। अब हम लोग वहाँ दोबारा कभी नहीं खेल पाएँगे। अब तो हमें अपने पास-पड़ोस के मकानों के बीच की पक्की सड़क से ही संतोष करना पड़ेगा।


सुबह से बारिश हो रही थी और हम लोग घर में ही छिपे हुए थे।

Slide 2 - Tekstslide

1st page
"देखो, वे हर तरफ़ रपटते फिसलते फिर रहे हैं." रवि ने जबरदस्ती हँसने की कोशिश की।

"वहाँ कीचड़ ही कीचड़ है, उनके बक्से खराब हो जाएँगे।"

मैंने भी थोड़ा संतुष्ट होते हुए सहमति से सिर हिलाया और ट्रक से उतारे जा रहे सामान को देखती रही। तभी मैं स्तब्ध रह गई। मैंने रवि का कंधा पकड़कर जोर से हिलाया।

"वे तो शंकर साहब हैं. मैं चीख पड़ी। "उस दरवाजे से वे ही घुस रहे हैं। "

मेरा जुड़वाँ भाई रवि, अविश्वासपूर्वक देखता रहा। लंबे पतले और चश्माधारी सज्जन सामान रखने वालों को निर्देश देख  रहे थे।"हाँ, वहीं हैं, रवि ने धीरे से कहा।

"हाँ, वहीं हैं, रवि ने धीरे से कहा।

Slide 3 - Tekstslide

2nd page 
हम लोग जड़वत खड़े अपने गणित के अध्यापक की देख रहे थे, जो हमारे स्कूल के आतंक थे। उनके मुँह से निकला एक भी शब्द या उनकी कड़ी निगाह हमें छपने के लिए मजबूर कर देती थी। "ठीक केही पर में हैं," मैंने दोहराया,

"बचाओ। अब हम क्या करें?"

हमने अपने को बताया। उन लोगों को तो हमसे बिलकुल ही सहानुभूति नहीं हुई।

दिक्कत क्या है?पापा गरज पड़े। "कुछ भी हो, पड़ोसी तुम्हारी पसंद से तो नहीं आएंगे।"

"जब तुम लोगों की जरूरत पड़े तो उनसे मदद भी ले सकते हो," हमारी माँ खुश होकर बोली।

Slide 4 - Tekstslide

2nd page 
"गणित में तुम लोगों को हमेशा दिक्कत आती रही है। अब तुम्हारी समस्या हल हो गई।" रवि और मैंने एक-दूसरे की ओर देखा और आहें भरकर रह गए। स्थिति की विकटता के बारे में इन लोगों को समझाने का कोई फायदा नहीं था। इन लोगों से ज़्यादा

ध्यान तो हमारे दोस्तों ने दिया।

"कितना बड़ा संकट है!" माधुरी चिल्लाई थी। "फँस गए तुम लोग तो!"

"तुम्हारा बस स्टॉप भी एक ही होगा," हमारे दुख में शामिल होता हुआ प्रदीप बोला। "जब भी तुम कोई गड़बड़ करोगे, तो तुम्हारे घर वालों से शिकायत...।"

यह बात तो अभी तक हमारे दिमाग में आई ही नहीं थी। लगभग पूरे दिन हम असमंजस की स्थिति में रहे। हमने गणित की कक्षा में मन लगाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन शंकर साहब का चेहरा सामने आते ही बीजगणित

Slide 5 - Tekstslide

2nd page 
अच्छा अब समझा," उन्होंने कहा और लंबे-लंबे कदम बढ़ाते हुए चल दिए ।

अगली सुबह बस-स्टॉप पर पहुँचने

में हमने थोड़ी देर की । अंत में बोल पड़ा, “अब वे जा

Slide 6 - Tekstslide

2nd page 
हम बातें करते हुए जान-बूझकर देर कर रहे थे। यहाँ तक कि माँ को फ़िक्र होने लगी थी।

'अब तुम लोग निकल ही लो," उन्होंने जोर देते हुए कहा। "इस तरह से तो तुम्हारी बस छूट जाएगी।"

तभी रवि को नुक्कड़ से बस मुड़ती दिखाई दी। हम लोग एकदम से भागकर बस स्टॉप पर पहुँचे।

हम लोगों ने लगातार पाँच दिन तक ऐसा ही किया। शंकर साहब हर बार नाराजगी भरी नज़रों से हमें देखते। छठे दिन, जब हम लोग दौड़ते-भागते और हाँफते हुए पहुँचे तो वे नाराज हो गए।

"तुम लोग ठीक समय पर बस-स्टॉप क्यों नहीं पहुँचते?" उन्होंने डाँटकर कहा। "यह तरीका ठीक नहीं है।"

हम लोगों ने चुपचाप सिर झुका लिया।

Slide 7 - Tekstslide

3rd page
हमें हार माननी ही पड़ेगी। इसके बाद से हम लोग सही समय पर बस स्टॉप पहुँचते और बस रवाना होने तक शंकर साहब के साथ कई पीड़ादायक क्षण गुजारते। वे हमारे अंकों के बारे में सवाल पूछते और जब हमारे अंक कम रहे होते, तो बहुत ही अप्रिय अंदाज़ में गुर्रते।

'तुम लोग आजकल बिलकुल नहीं पढ़ते हो," उन्होंने क्रोध में एक दिन कहा। "या तो टी. वी. देखते रहते हो या फिर समय बरबाद करते रहते हो। इस बारे में कुछ करना पड़ेगा।"

करना तो मुझे ही पड़ा। “आज 44 मैं बाहर नहीं निकलूँगी," मैंने शाम को रवि से कह ही दिया।

"क्यों हमने होम वर्क तो कर ही लिया है।"

"नहीं! तुम्हें मालूम तो है कि हम पर किसकी निगाह है। समय बरबाद करते हुए पकड़े जाने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। अगर उन्होंने किसी से शिकायत कर दी तो?"
"पर खेलना तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, " रवि ने तर्क दिया। "राय साहब ऐसा कहते हैं, मालूम न?" राय साहब हमारे व्यायाम शिक्षक थे और रवि केराय साहब हमारे व्यायाम शिक्षक थे और रवि के आदर्श भी .

Slide 8 - Tekstslide

3rd page

"कुछ नहीं," मैं बोली। "मैं बाहर की सीढ़ियों पर बैठती हूँ और वहीं पढ़ंगी, ताकि उन पर कुछ असर पड़े। तुम्हें जैसा उचित लगे, करो।"

नाराज-सा होकर रवि तो बाहर चला गया, जबकि मैंने एक मोटी-सी किताब उठाई और आगे की सीढ़ियों पर बैठकर पढ़ाई में डूबने का दिखावा करने लगी। पंद्रह मिनट बाद ही, जब मुझे अपने निर्णय पर खेद होने लगा था, तभी रवि आया। उसके पैरों के पास एक कुत्ता था। इस प्यारे से काले कुत्ते को हम लोग गलियों में घूमते हुए या बहादुरी से हर किसी के बगीचे में घुसते या जाँच-पड़ताल करते हुए देख चुके थे। हमने उसे अगले मकान में जाते देखा था और उसकी खैर मनाते रहे थे। मैं झटके से सीढ़ी

से नीचे कूदी और उसे सहलाने लगी। "बहुत प्यारा है," मैंने कहा "किसका है? इसके गले में कोई पट्टा नहीं है।"कुत्ता उत्साह से अपनी पूँछ हिलाए जा रहा था।

"यह मेरे पीछे-पीछे आया " रवि शान से बोला। 'मुझे लगता है, यह मुझे चाहता है। "तभी खट से दरवाजा खुला और शंकर साहब सड़क पार कर हमारी ओर आने लगे।"भगवान, बचाओ," रवि धीरे से बोला और मैंने अपराध भाव से अपनी किताब की तरफ़ देखा, जो ऊपर सीढ़ी पर पड़ी थी। "तुम लोग क्या कर रहे हो

शुरू हो गए।

रवि ने घबराते हुए जवाब दिया, “कुछ नहीं, सर हम तो बस, पढ़ने ही जा रहे थे, सर हम तो...।"

"चुप रहो, बच्चो! और मेरी बात सुनो," शंकर साहब ने फटकार लगाई। "यह मेरा कुत्ता है। मैं सोच रहा था

Slide 9 - Tekstslide

3rd page
"भगवान, बचाओ," रवि धीरे से बोला और मैंने अपराध भाव से अपनी किताब की तरफ़ देखा, जो ऊपर सीढ़ी पर पड़ी थी। "तुम लोग क्या कर रहे हो. 44 " वे

शुरू हो गए।

रवि ने घबराते हुए जवाब दिया, “कुछ नहीं, सर हम तो बस, पढ़ने ही जा रहे थे, सर हम तो...।"

"चुप रहो, बच्चो! और मेरी बात सुनो," शंकर साहब ने फटकार लगाई। "यह मेरा कुत्ता है। 

Slide 10 - Tekstslide

4th page
मैं सोच रहा थाकि यह गया कहाँ

हम आश्चर्य से देखते ही रहे कुत्ता हँसी-खुशी से उछल-कूद करता हुआ अपने मालिक के पास पहुँच गया और देखते ही देखते उस घर

के अंदर गायब हो गया। "चलो! रवि बोला। उसके शब्द में बहुत से

अनकहे मायने छिपे थे।

मैंने सिर हिला दिया। मैं शर्त लगा सकती हूँ

कुत्ते को मारते होंगे," मैंने कहा। "उनको रोकने-टोकने वाला तो कोई है नहीं कोई आश्चर्य नहीं जो कुत्ते की आँखों में उदासी छाई है

अच्छा, ऐसा!" रवि बोल पड़ा। “तुम्हें कैसे पता लगा? क्या ये आँखें गायों की तरह थीं?" रवि तो तभी से जानवरों से प्यार करने लगा था, जब से वह कुत्ते और बिल्ली में फर्क समझने लायक हुआ था।

"बच्चों, तुम लोग क्या कर रहे हो?" हमारी माँ बाहर आकर बोली “तुम लोगों ने बताया था कि कल तुम्हारा टेस्ट है। गणित का है, न?"

रवि ने उदास स्वर से कहा "हम लोगों ने तैयारी कर ली है। वहीं पुराने सड़े से समीकरण!"

यही पुराने सड़े-से समीकरण'. अगले दिन हमारे लिए असली मुसीबत बन गए। शंकर साहब ने तो लगता है कि सबसे कठिन प्रश्नों का आविष्कार कर डाला था। हमने बहुतेरा सिर खुजाया, पेन चबाए, संख्याओं को बहुत संवारा, सरल किया लेकिन उनके उत्तर पकड़ में नहीं आए।

"हाय!" कक्षा से बाहर निकलते ही माधुरी ने अपनी आँखें मलीं। "कितना भयानक था, कितना कठिन! तुम दोनों ने कल ज़रूर उन्हें नाराज कर दिया होगा। उसी का बदला लिया उन्होंने।"

असली अग्निपरीक्षा तो तब हुई, जब हमारी कापियाँ वापस की गई। हम सब-के-सब फेल हो गए थे। शंकर साहब की चमकती आँखें और गरजती आवाज़ वाले प्रचंड

Slide 11 - Tekstslide

4th page
हाव-भाव को देखकर हम सभी घबराए जा रहे थे।

'तुम सब बेकार हो!" वे फट पड़े। "मैंने बिलकुल आसान सा टेस्ट लिया था। और तुम लोग एक भी चीज़ ठीक से नहीं कर सके।"

रवि तो सारे दिन अपने अंकों के बारे में ही सोचता रहा। वह अपने आपको गणित का विशेषज्ञ माना करता था और अब उसे चिंता खाए जारही थी कि वह कहीं फ़ेल ही न हो जाए। मैंने उसे प्रसन्न

करने का निश्चय किया।

"आओ, रवि," शाम को मैं उसे बाहर खींचते हुए बोली। “छुपा-छुपी खेले न जाने कितने दिन हो गए।"

"नहीं," वह बोला, "मैं...।" वह एकाएक रुक 44 गया। हमारे कानों में किसी के बड़े जोर से हँसने की आवाज़ सुनाई पड़ी। ये तो बगल वाले मकान के बगीचे से ही आ रही थी। जिज्ञासावश, हम बाड़ पार कर भागे और अपने पुराने खेल के मैदान की तरफ झाँकने लगे।
शंकर साहब अपने हाथों में एक गोल-सी प्लेट फ्रिसबी लिए घास पर लेटे थे। उनका कुत्ता उनके चारों तरफ़ कूदता फाँदता उसे छीनने की कोशिश 

Slide 12 - Tekstslide

4th page
कर रहा 

Slide 13 - Tekstslide

5th page
"वे तो हँस रहे हैं!" रवि धीरे से बोला। मुझे लगा, जैसे मैं कोई स्वप्न देख रही होऊँ शंकर साहब ने तभी ऊपर की ओर देखा और अपने पैरों पर उछलकर खड़े हो गए। दो दिलचस्प दर्शकों को देखकर वे कुछ हड़बड़ा गए थे। कुछ परेशान मुद्रा में उन्होंने उस प्लेट को घुमाया और कुछ में सोचने लगे। "क्या तुम लोग भी खेलना चाहते हो?" उन्होंने पूछा।

रवि मेरी अपेक्षा थोड़ी जल्दी होश में आ गया। "हाँ, सर," उसने जवाब दिया और मुझे खींचते हुए उनकी ओर भागा। कुत्ता दौड़कर हमारे पास आया और हमारे हाथ चाटने लगा।

"त्रिको तुम्हें चाहता है," शंकर साहब बोले।

"त्रिको?" मैंने साहस करके पूछा।

"त्रिकोणमिति की तर्ज पर इसका नाम रखा है, " उन्होंने समझाया। " आओ, तुम लोग वहाँ खड़े हो जाओ। मैं यह फ्रिसबी तुम्हारी ओर फेंकूँगा।'एक ही घंटे बाद हम अपनी किताबें लाने के लिए, अपने घर की ओर भाग रहे थे। "तुम लोग कहाँ जा रहे हो?" माँ ने पूछ लिया।
"बगल वाले घर में शेकर साहब हमें गणित के समीकरण हल करने में हमारी मदद करेंगे।"

Slide 14 - Tekstslide

शब्द 
धुँधुले
असमंजस की स्तिथि 
अनकहे 
अग्नि-परीक्षा 
जिज्ञासावस 
त्रिकोरमिति 
मुद्रा 

समीकरण 

अर्थ 
अस्पष्ट 
क्या करे औरे क्या न करे समझ मे न आना 
बिना कहे गए 
कठिन परीक्षा 
जनेके के इच्छा 
जयोमीटि की एक शाखा 
शरीर के किसी अंग की विशेष भवसूचक स्तिथि ,जेसे हसटमुद्र,मुखमुद्रा 
ज्ञात राशि की सहायता से अज्ञात रक्षी निकालने की क्रिया ,गणित का विशेष अध्याय 

Slide 15 - Tekstslide

पड़ोसी बनकर कोन आया ?
A
रवि
B
देविका
C
शंकर साहब
D
कोई नहीं

Slide 16 - Quizvraag

"इसमे एक भूत है "किसन कहा ?
A
देविका ने
B
शंकर साहब ने
C
मित्र ने
D
रवि ने

Slide 17 - Quizvraag

"कुछ भी हो पड़ोसी तुम्हारे पसंद के नह आएंगे" किसने कहा ?
A
देविका ने
B
शंकर साहब ने
C
माँ
D
पापा ने

Slide 18 - Quizvraag

शंकर साहब लेखिका और उसके भाई को नाराज़गी भरी नज़रों से क्या देखते थे ?
A
देर से बस स्टॉप पहुचने पर
B
देर तक खेलने से
C
देर रात तक जागना
D
काम न करने पर

Slide 19 - Quizvraag

फेककर खेली जाने वाली गोल-सी प्लेट क्या कहलाती है ?
A
क्रिकेट
B
फ्रिसबी
C
रग्बी
D
डिस्कस

Slide 20 - Quizvraag

जीवन कौशल 
पड़ोसी के बारे में कहा गया है कि वही सबसे पहले काम आता है। इसलिए उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहिए। उनके बच्चों को अपना मित्र बनिये

Slide 21 - Tekstslide

अभिवृत्त और जीवन मूल्य 
कभी-कभी ऐसा होता है कि आप जिसे ठीक समझते हैं वह गलत निकलता है और जिसे गलत समझ है, वह अच्छा निकलता है। इसलिए पड़ोस में रहने वालों के साथ धीरे-धीरे निकटता बढ़ाएँ। सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखने चाहिए। आपकी तरफ से बड़ों को सम्मान दिया जाना, छोटों के साथ मीठा बोलना आवश्यकता पड़ने पर किसी की सहायता करना उचित है। हर समय पड़ोसी के घर में घुसे रहना उचित नहीं। इससे अच्छा पार्क वगैर में जाकर खेलना है। सुबह-शाम एक साथ सैर के लिए भी निकल सकते हैं। इससे 'एक पंथ दो काज हो जाएगा। स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ सैर करने से अपनापन बढ़ेगा। एक-दूसरे का सुख-दुख बाँट सकेंगे और आवश्यकता पड़ने पर परस्पर सहायता कर सकेंगे।

Slide 22 - Tekstslide

ट्रक कहाँ आकर रुका ?

Slide 23 - Open vraag

शंकर साहब कैसे दिखते थे?

Slide 24 - Open vraag

. दोनों बच्चे एकदम से बस स्टॉप पर भाग कर क्यों पहुचे?

Slide 25 - Open vraag

राय साहब कौन थे?

Slide 26 - Open vraag

रवि जानवरों से कब से प्यार करने लगा था?

Slide 27 - Open vraag

लेखिका को क्यों लगा कि वो स्वप्न देख रही थीं?

Slide 28 - Open vraag

अंत में एक घंटे बाद क्या हुआ?

Slide 29 - Open vraag

आपको यह कहानी कैसी लगी ?

Slide 30 - Open vraag